रोशनी ग्राउंड, रोशन पीर दरबार का इतिहास

 

इस दरबार का इतिहास बहुत ही पुराना और विलक्षण है | ये दरबार लोधी काल यानी सन 1450 से भी पुराना है | जिस के साबुत और तथ्य हिन्दुस्थान सरकार के सरकारी गैज़ेट में मिलते है | सन 1878 ई. में जब अंग्रेजो का हिन्दुस्थान पर राज था तब अंग्रेज सरकार ने लुधिआना शहर की हदबंदी करने की जिम्मेवारी उस समय के टाउन प्लानर Mr. Gorden Walker को सौंपी | जब Mr. Gorden Walker लुधिआना शहर की हदबंदी कर रहे थे तब वो इस जगह पर पहुंचे यानी रौशनी ग्राउंड में आये, तब यहां रौशनी का मेला चल रहा था जो उन्होंने यहाँ पर देखा वो आँखों देखा हाल सरकारी गैज़ेट में लिखा / दर्ज़ किया और वो सारा रिकार्ड आप सरकारी गैज़ेटे में देख और पढ़ सकते हैं, और वो इस प्रकार है :-

 

इस जगह का नाम रोशनी ग्राउंड है | सन 1878 ई. में इस जगह पर पीर शेख अब्दुल कादीर जिलानी जी का रौशनी का मेला लगा हुआ था, जिन्हें लोग प्यार से रोशन पीर भी कहते थे | रिकॉर्ड के मुताबिक यह रोशनी का मेला इस्लामिक था पर इसे मनाते हिन्दू लोग थे, जोकि इस्लामिक महीने रब्बी-उसानी (मिरणजी) की 9 - 10 - 11 तारीख को हर साल लगा करता था | पीर साहिब को मानने वाले श्रद्धालु मेले में बहुत दूर - दूर से आते थे | रिकार्ड के मुताबिक उस समय लुधिआना शहर की आबादी 10 हज़ार थी पर मेले में श्रद्धालुओं की गिनती 40 हज़ार से 50 हज़ार थी ऐसा Mr. Gorden Walker ने सरकारी गैज़ेटे में दर्ज़ किया है |

 

इस जगह का नाम रौशनी ग्राउंड इस लिए पड़ा की श्रद्धालु मेले के दौरान सारी रात अपने रोशन पीर के आँगन (रौशनी ग्राउंड) में दिये जलाते और चौंकी भरते और सारी रात अपने पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी जी को याद करते और उनके नाम का सिमरन करते | पीर साहिब के श्रद्धालुओं का ये बहुत बड़ा यकीन था की अगर कोई पशु (गाय / भैंस) दूध देना या सुना बंद कर देता थी तो श्रद्धालु उस पशु को रौशनी मेले के दौरान साथ ले के आते सारी रात चौंकी भरते और सुबह वापिस अपने घर चले जाते और आते साल वो पशु सु पड़ता और दूध देने लगता |

 

रौशनी मेले की दूसरी प्रथा ये भी थी कि रौशनी मेले के दौरान मलंग लोग अपने पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी जी का धुना जलाते और फिर अपने नंगे पैरों से धुनें को नाच - नाच कर बुझाते और पीर साहिब की जय - जैकार करते | इस तरह यह मेला सदियों से यानि कई 100 सालों से इस जगह पर मनाया जाता रहा है | सन 1878 ई. में सय्यद मोहम्मद साहिब इस दरबार के गद्दी नशीन थे | उस वक़्त के हुक्मरान ने दरबार की मान्यता, श्रद्धालुओं के विश्वास और यहाँ पर हुए चमत्कारों को देखते हुए दरबार पर आने वाली संगत के लिए पानी की व्यवस्था के लिए कुछ कुऐं खुदवाए जो आज भी रौशनी ग्राउंड में मौजूद हैं और लंगर की व्यवस्था के लिए 160 खेत जमीन भी अलाट की और वो 160 खेत जमीन भी रोशन पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी जी के नाम पर दर्ज़ थी |

 

यह सारा रिकार्ड आप हिन्दुस्थान की सरकारी वेबसाइट पर भी देख / पढ़ सकते हो | ये सारा वाकया पंजाब डिस्ट्रीक्ट गैज़ेटर वॉल्यूम – 15 में दर्ज़ है |